दोस्तों हो सकता है आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ हो कि आप किसी बैंक से लोन लिए हो और आपको बैंक के तरफ से कभी मैसेज आया हो Your Loan Transfer To Arcil और आप चौंक जाते होंगे। कि यह किस तरह का मुझे मैसेज आया है। तो दोस्तों घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको आज यह बताने वाले है कि ARCIL क्या है?
दोस्तों बैंक या किसी वित्तीय संस्था तब ऐसा करता है। जब उसको लगता है कि उनके द्वारा वितरित किए गए लोन खराब हो चुका है या संकटग्रस्त है। तब वह अपना लोन बेच देते है। बैंक और कोई वित्तीय संस्था अधिकांश अपना लोन ARCIL के हाथों बेचा करते है। तो अगर आप ARCIL को विस्तार से जानना चाहते है कि तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए। आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा।
ARCIL क्या है?
दोस्तों ARCIL का पूरा नाम Assets Reconstruction Company India Limited है। यह एक वित्तीय संस्थाओं से गैर परिस्थितियों में फंसे हुए कर्ज खरीदनी है। इसकी स्थापना 2002 में हुई थी। इसकी मुख्यालय दिल्ली में है। यह भारत के 12 राज्यों में 13 कार्यालय के माध्यम से कम कर रही है। इस कंपनी के अगर आप CEO या MD को जाना चाहते है तो इनके CEO या MD पल्लव मोहापात्रा है।
ARCIL के कार्य
हम इसके मुख्य कार्य के बारे में भी आपको विस्तार से बताने की कोशिश करते है। ताकि आप समझ सके कि यह कार्य किस प्रकार से करता है। दोस्तों ARCIL का मुख्य कार्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों के फंसे संकटग्रस्त और गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के लोन को अधिग्रहण करना और उनका समाधान करना है। शायद आपको अभी भी समझ में ना आई हो तो हम सरल भाषा में आपको बताने की कोशिश करते है।
ARCIL किसी लोन प्रदान करने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान लोन उन लोगों को खरीदना है जो लोन फंसे हुए है या खराब स्थिति से गुजर रहे है। उदाहरण के लिए कोई बैंक की वित्तीय संस्था के पास वह लोन की संख्या अधिक हो गई है जो लोन की राशि मिलने की उम्मीद ना के बराबर है। या बैंकों को लगता है कि हम पर बहुत अधिक राशि की लोन है और हम इस लोन को अगर रिकवर करें तो हमारी कई गुना खर्च बढ़ जाएंगे। तब वह अपना लोन बेचने का निर्णय लेते है। तब वह अपना खराब और संकटग्रस्त लोन को ARCIL के हाथों बेच देते है।
खराब लोन कब होता है
अब आपके मन में यह भी सवाल आ रहा होगा कि जब भी कोई बैंक या वित्तीय संस्था ग्राहकों को लोन देता है तो वह लोन बैंकों या वित्तीय संस्था के द्वारा खराब कब घोषित की जाती है। दोस्तों इस पर हम आपको अच्छे से सही जानकारी देने की कोशिश करते है। दोस्तों मानो कोई बैंक या वित्तीय संस्था किसी ग्राहक को लोन देता है और ग्राहक को बार-बार याद दिलाने के बाद भी ग्राहक उसे लोन की ब्याज 90 दिनों तक या उससे अधिक समय तक नहीं भरता है तो वह लोन खराब होने जाता है।
ऐसी स्थिति में बैंक द्वारा उस लोन को NPA कहा जाता है। ग्राहकों बैंक के द्वारा आए Loan के कॉल या मैसेज को नजर अंदाज करता है। यहां तक कि ग्राहक लोन मूलधन भी नहीं देने के विचार में रहता है या वह खुद को सरेंडर कर देता है कि हम लोन नहीं चुका सकते है। ऐसी स्थिति में बैंक या कोई वित्तीय संस्था उस लोन को खराब लोन या संकटग्रस्त लोन मानता है। इसे थोड़ा सा ठीक से समझने की कोशिश करते है।
जब भी कोई ग्राहक किसी बैंक या वित्तीय संस्था से लोन लेता है। और उनकी लोन की भुगतान करने के लिए जब मंथली EMI बनती है तो वह EMI नहीं भरना बैंक या वित्तीय संस्था के लिए एक संकट हो जाता है। ऐसा स्थिति तब उत्पन्न होता है जब लोन लेने वाले ग्राहकों की मृत्यु हो जाती है या लोन लेने वाले ग्राहकों के पुत्र के द्वारा लोन भुगतान करने की स्थिति आ जाती है। दूसरे रूप में कोई व्यक्ति लोन लेने के बाद बैंक को झांसा देने की कोशिश करता है। वह यह कहकर लोन नहीं भुगतान करता है कि बैंक हमारा क्या बिगाड़ लेगा। यह मुख्य कारण अधिकांश लोन खराब होने की संभावनाएं बन जाती है।
NPA क्या होता है?
अब आपके मन में यह भी सवाल आ रहा होगा कि NPA का मतलब क्या होता है। आपकी मन्न में छोटे-छोटे सवाल बना आम बात है। क्योंकि आप इसे विस्तार से जानना चाहते है। चिंता ना करें हम आपको विस्तार से अच्छे तरीके से बताने की कोशिश करते है। NPA का पूरा नाम Not Performing Asset होता है। यह नाम बैंक या कोई वित्तीय संस्था तब देता है। जब ग्राहक 90 दिनों तक या उससे अधिक समय से ब्याज या मूलधन नहीं चुके है। ऐसी स्थिति में बैंक को लगता है कि लोन देना उनके लिए नुकसान साबित हो रहा है।
कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था लोन इसलिए वितरित करता है। ताकि उनको ब्याज के रूप में मुनाफा मिल सके। कोई बैंक या वित्तीय संस्था का लोन NPA की अवस्था में आता है तो वह लोन को बेचने के लिए तैयार रहते है। बैंक या कोई वित्तीय संस्था NPA इसलिए घोषित करता है। ताकि उनको बैलेंस शीट को बेहतर बनाने में सहायता मिले और वह नई लोन देने पर अपना ध्यान केंद्रित कर सके। साधारण भाषा में कहूं तो बैंक अपनी वित्तीय स्थिति को खराब नहीं दिखाना चाहती है।
ARCIL लोन का रिकवरी कैसे करता है
देखो दोस्तों जब ARCIL को पता होता है कि या लोन खराब है और बैंक खराब स्थिति में मुझे बचा है। तो वह बहुत सोच समझकर लोन को खरीदने है। ऐसे ही ARCIL लोन को हवा हवाई के रूप में नहीं खरीदना है। जब उनको लगता है कि हम लोन की रिकवरी ग्राहकों से करवा सकते है तभी वह लोन खरीदते है।
हम आपको बताते है कि यह लोन की रिकवरी के लिए क्या-क्या उपाय अपनाते है।
- ARCIL को जब ऐसे बिगड़े ग्राहक का सामना करना पड़ता है जो की लोन से जुड़ी कॉल या sms को अगर नजर अंदाज कर देता है। तब ARCIL लोन की वसूली के लिए कानूनी मध्य को भी अपनाती है।
- ARCIL इस प्रक्रिया को अदालत तक ले जाती है। ARCIL जो है वो Approaches Legal Courts जैसे अदालत में अपना स्थिति पेश करता है और आदेशानुसार कानूनी कार्रवाई करता है।
- ARCIL अन्य वसूली विधि को भी वह अपनाती है। यहां तक कि ग्राहकों की संपत्ति की नीलामी भी कर सकता है या फिर ग्राहकों की संपत्ति को गिरवी भी रख सकता है। Approaches Legal Courts इस मामले में ARCIL को पूरी मदद करती है। क्यों कि ग्राहक की गलतियां इसमें होती है।
- अगर ग्राहक की स्थिति दयनीय होती है और ग्राहक लोन नहीं देने को लेकर अपना विपत्ति स्थिति सुनता है या सरेंडर कर देता है। तो ऐसी स्थिति में Approaches Legal Courts के अनुसार कुछ लोन की राशि ली जाती है बाकी राशि माफ कर दिया जाता है।
- कुछ मामले में ग्राहक अगर लोन भुगतान करने को राजी नहीं होते है तो उनको रिमाइंडर नोटिस भेजा जाता है। उससे भी नहीं मानते है तो उनको Approaches Legal Courts में होने वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में बताया जाता है।
निष्कर्ष
आशा करता हूं कि आपको अच्छे तरीके से समझ में आ चुके होंगे की ARCIL क्या और यह क्या काम करती है। अगर आपके मन में फिर भी कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट कर सकते है।
इसे जरुर पढ़ें -


